माता शैलपुत्री कवच
माता शैलपुत्री कवच
माता शैलपुत्री कवच मां दुर्गा के पहले स्वरूप ‘शैलपुत्री’ को समर्पित है। पुत्री के रूप में पर्वतराज हिमालय के घर उत्पन्न होने से इनका नाम ‘शैलपुत्री’ पड़ा। नवरात्र पूजन में प्रथम दिन इन्हीं की पूजा और उपासना की जाती है । इनका वाहन वृषभ है । देवी ने दाएँ हाथ में त्रिशूल धारण कर रखा है और बाएँ हाथ में कमल सुशोभित है।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार नवरात्रि के पहले दिन विधि विधान से मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं । मां शैलपुत्री अत्यंत सरल एवं सौम्य स्वभाव की हैं, और वो जीवन में आने वाली सभी विघ्न बाधाओं का अंत करती है तथा वैवाहिक जीवन खुशहाल व्यतीत होता है ।
कवच
ओमकार:में शिर: पातुमूलाधार निवासिनी ।
हींकार,पातुललाटेबीजरूपामहेश्वरी ॥
श्रीकार:पातुवदनेलज्जारूपामहेश्वरी ।
हूंकार:पातुहृदयेतारिणी शक्ति स्वघृत ॥
फट्कार:पातुसर्वागेसर्व सिद्धि फलप्रदा ।